बिहार की राजनीति में पारिवारिक तनाव के बीच एक भावनात्मक मोड़ देखने को मिला है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को उनके दूसरे बच्चे के जन्म पर शुभकामनाएं दी हैं। यह बधाई ऐसे समय पर आई है जब तेज प्रताप न सिर्फ पार्टी से निकाले गए हैं बल्कि पारिवारिक रिश्तों में भी दरार की खबरें सुर्खियों में हैं।

पारिवारिक विवाद की पृष्ठभूमि
मई 2025 की शुरुआत में तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने अपनी 12 साल पुरानी कथित प्रेम कहानी साझा की। इस पोस्ट ने परिवार और पार्टी की छवि को प्रभावित किया, जिसके बाद:
- लालू यादव ने तेज प्रताप को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया, यह कहते हुए कि वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं।
- पारिवारिक रिश्तों में भी खटास आ गई और तेज प्रताप का अपने पिता और भाई से संवाद टूट गया।
- बाद में तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया था और वे उस पोस्ट के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
तेजस्वी को बधाई: भावनात्मक जुड़ाव या छवि सुधार?
इन सबके बीच तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी और उनकी पत्नी को बच्चे के जन्म की बधाई दी। उनका संदेश छोटा लेकिन सौम्य था:
“आपके परिवार को ढेर सारी खुशियाँ और स्वास्थ्य की शुभकामनाएं।”
हालांकि उन्होंने पारिवारिक विवाद का कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन उनके इस संदेश को संभावित मेल-मिलाप की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक दृष्टिकोण
इस कदम के कई राजनीतिक मायने हो सकते हैं:
- तेजस्वी यादव, आरजेडी के प्रमुख नेता और वर्तमान में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
- तेज प्रताप, भले ही पार्टी से बाहर हों, लेकिन उनका एक समर्थक वर्ग है और वे मीडिया में चर्चा में बने रहते हैं।
- विश्लेषकों का मानना है कि यह बधाई संदेश, परिवार और पार्टी के बीच संवाद का पहला कदम हो सकता है।
आगे क्या?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की कोशिशों के बीच आरजेडी जैसे दल के लिए पारिवारिक एकता बेहद जरूरी है। यदि तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच सुलह होती है, तो यह पार्टी को एकजुट कर सकती है। लेकिन अगर कलह जारी रही, तो इससे पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है।
तेज प्रताप यादव द्वारा तेजस्वी को दी गई बधाई एक भावनात्मक इशारा हो सकता है, जो इस टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ने की कोशिश है। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह मेल-मिलाप की शुरुआत है या एक राजनीतिक रणनीति, लेकिन इतना तय है कि इससे एक बार फिर यादव परिवार और बिहार की राजनीति चर्चा में आ गई है।