गुरुग्राम में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मारकर हत्या, आरोपी पिता गिरफ्तार

🧩 कौन थीं राधिका यादव?

राधिका यादव (उम्र 25 वर्ष) हरियाणा की एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थीं। उन्होंने इंटरनेशनल जूनियर टेनिस टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया था और ITF डबल्स में टॉप 150 के भीतर रैंकिंग प्राप्त की थी। चोट के कारण राधिका ने प्रोफेशनल खेल छोड़ दिया था लेकिन उन्होंने गुरुग्राम में खुद की टेनिस अकादमी शुरू की थी जहां वह कोचिंग दे रही थीं।


🕰 घटना कैसे हुई?

10 जुलाई की सुबह करीब 10:30 बजे राधिका अपने घर पर थीं, तभी उनके पिता दीपक यादव ने गुस्से में आकर अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से उन पर पांच गोलियां चला दीं। तीन गोलियां राधिका की पीठ में लगीं। उनकी माँ और भाई उसी समय घर में मौजूद थे।

गंभीर हालत में राधिका को पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


🔍 हत्या की वजह क्या थी?

प्राथमिक जांच में सामने आया कि राधिका के पिता को इस बात से परेशानी थी कि लोग उन्हें “बेटी की कमाई पर पलने वाला” कहकर ताना देते थे। राधिका की सफलता और स्वतंत्रता से परिवार में लंबे समय से तनाव था। वह चाहते थे कि राधिका अकादमी बंद कर दे, लेकिन उसने मना कर दिया। इसी बात पर विवाद बढ़ता चला गया और अंततः यह भयावह कदम उठाया गया।

कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया पर वायरल रील्स और अकादमी चलाने के तरीके को लेकर भी घर में मतभेद थे।


⚖️ कानूनी कार्रवाई

हत्या के तुरंत बाद गुरुग्राम पुलिस ने दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया और सेक्टर 56 थाना में एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। जांच जारी है।


😢 समाज में प्रतिक्रिया

राधिका की हत्या से पूरा देश स्तब्ध है। यह मामला न केवल एक पारिवारिक त्रासदी है, बल्कि यह पितृसत्तात्मक सोच, महिला आत्मनिर्भरता के प्रति असहिष्णुता और मानसिक स्वास्थ्य जैसे कई गहरे सामाजिक मुद्दों को उजागर करता है।

महिला संगठनों और खेल जगत से जुड़े लोगों ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर #JusticeForRadhika ट्रेंड कर रहा है।


📌 निष्कर्ष

राधिका यादव की हत्या ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक बेटी, जो आत्मनिर्भर थी, अपने सपनों को जी रही थी, उसे उसके ही पिता ने अपनी झूठी प्रतिष्ठा की खातिर मौत के घाट उतार दिया।

यह घटना एक चेतावनी है — बेटियों को समझें, उनकी आज़ादी का सम्मान करें और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। कानून को अपना काम करना होगा, लेकिन समाज को भी खुद में बदलाव लाने की ज़रूरत है।