सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य से ‘राम मंत्र दीक्षा’ लेकर न केवल धार्मिक आस्था जताई, बल्कि देशवासियों को बड़ा भरोसा भी दिया—”पीओके को भी करेंगे मुक्त।” उनके इस बयान ने देश की सुरक्षा और सैन्य संकल्प को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है।
सेना प्रमुख की आध्यात्मिक यात्रा और बड़ा संदेश
भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज से राम मंत्र दीक्षा ली। यह कार्यक्रम पूरी तरह धार्मिक था, लेकिन इसके माध्यम से उन्होंने एक स्पष्ट राष्ट्रीय संदेश भी दिया।
इस मौके पर उन्होंने कहा:
“जहां-जहां जरूरत है, वहां-वहां हमारी सेना जाएगी। पीओके को भी खाली कराएंगे।”
उनकी यह टिप्पणी सीधे तौर पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को लेकर भारत के संकल्प और भविष्य की सैन्य रणनीति का संकेत देती है।
धार्मिकता और राष्ट्रवाद का संगम
चित्रकूट की यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं थी। यह एक ऐसा अवसर था जिसमें एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने देश की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने के साथ-साथ देशवासियों को आश्वस्त किया कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
रामभद्राचार्य से मंत्र दीक्षा लेना यह दर्शाता है कि भारतीय सेना न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी देश की भावना में रची-बसी है।
पीओके पर क्यों चर्चा में हैं सेना प्रमुख?
हाल के दिनों में केंद्र सरकार और भारतीय सेना की ओर से यह संकेत मिलते रहे हैं कि भारत, पीओके को लेकर अपने पुराने रुख से पीछे नहीं हटा है। जनरल द्विवेदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सीमा पार पाकिस्तान में लगातार राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बनी हुई है।
राजनीतिक हलचल भी तेज
जनरल द्विवेदी के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आना शुरू हो गई हैं। कुछ नेता इसे भारत की सामरिक मजबूती का प्रतीक मानते हैं, तो कुछ इसे चुनावी रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
सेना प्रमुख का यह दौरा यह दर्शाता है कि भारत की सेना न केवल रणभूमि में बल्कि आध्यात्मिक स्तर पर भी देश की भावना के साथ खड़ी है। राम मंत्र दीक्षा और पीओके को लेकर उनका संकल्प इस बात की पुष्टि करता है कि भारत अपनी जमीन और संस्कृति दोनों की रक्षा के लिए तैयार है।