इस्राइल और ईरान के बीच लगातार बढ़ते सैन्य तनाव के बीच, ईरान ने कई बैलिस्टिक मिसाइलें इस्राइल की ओर दागीं। इन खतरनाक मिसाइलों को अमेरिकी वायु रक्षा प्रणाली ने रास्ते में ही रोक लिया, जिससे एक बड़ा खतरा टल गया।
अमेरिकी सहायता की भूमिका
- अमेरिकी सेना की मिसाइल रक्षा प्रणाली, विशेषकर पैट्रियट और THAAD इंटरसेप्टर, ने इन मिसाइलों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया।
- अमेरिकी नौसेना के युद्धपोतों ने पूर्वी भूमध्य सागर में रणनीतिक स्थिति लेकर रक्षात्मक कवच तैयार किया।
- यह हस्तक्षेप दर्शाता है कि अमेरिका अब सिर्फ रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि सैन्य सहयोगी के रूप में भी इस्राइल के साथ खड़ा है।
इस्राइल की रक्षा स्थिति
- इस्राइल के पास पहले से ही एक मजबूत बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली है, जिसमें आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एरो शामिल हैं।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक दागी गई 400 से अधिक मिसाइलों में से अधिकांश को रास्ते में ही निष्क्रिय कर दिया गया, केवल कुछ ही शहरी इलाकों तक पहुंच पाईं।
- इससे न केवल जानमाल का नुकसान रोका गया, बल्कि रणनीतिक ठिकानों की रक्षा भी सुनिश्चित हुई।
रणनीतिक और वैश्विक असर
- इस्राइल ने जवाबी कार्रवाई में ईरान के कई मिसाइल लॉन्च साइट और सैन्य ठिकानों पर हमले किए।
- इस पूरी सैन्य स्थिति में अमेरिका की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट हो गया है कि वह क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए तैयार है।
- हालांकि, इससे मध्य-पूर्व में तनाव और अस्थिरता का खतरा भी बढ़ गया है।
निष्कर्ष
इस पूरे घटनाक्रम में यह स्पष्ट हो गया है कि केवल अपनी सुरक्षा प्रणाली पर निर्भर रहना अब इस्राइल के लिए पर्याप्त नहीं है। अमेरिकी हस्तक्षेप ने इस समय एक बड़े संकट को टाल दिया, लेकिन यह सवाल भी खड़ा किया कि क्या भविष्य में यह युद्ध और व्यापक रूप ले सकता है? जवाबदारी और कूटनीति अब पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गई है।