उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस बार मतदान दो चरणों में संपन्न होंगे—पहला चरण 26 जुलाई, और दूसरा चरण 30 जुलाई को — जिससे राज्य के 13,781 पंचायतों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नई ऊर्जा के साथ शुरू होगी।
चुनाव की रूपरेखा
- पहला चरण: 26 जुलाई को 11 जिलों (जैसे: पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी) के पंचायत चुनाव होंगे।
- दूसरा चरण: 30 जुलाई को शेष जिलों जैसे देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उधमसिंह नगर आदि में मतदान होगा।
निर्वाचन आयोग ने समयबद्ध तैयारी के तहत कुछ समय पहले Heer परिसर में मतदाता सूची फाइनल करवाई थी, और इसके बाद मतदान तिथियों की घोषणा की गई। इससे पिछला प्रदत्त समय — 20 मई — तक मतदान कार्यक्रम प्रस्तुत करने की हाईकोर्ट की दिशा का भी पालन हुआ है।
कानूनी पृष्ठभूमि
इससे पहले, हाईकोर्ट ने सात जिले में प्रशासनिक नियुक्तियों (जिला पंचायत व सदस्य) पर रोक लगाते हुए कहा था कि आवंटन अवधि समाप्त होने पर चुनाव कराना अनिवार्य है, न कि नियुक्तियों पर निर्भर रहना। अंतिम मतदाता सूची की तैयारी के बाद आयोग ने राज्य सरकार से उम्मीदवारों के आरक्षण (आरक्षित सीटों) को अंतिम रूप देने को कहा, ताकि समयसीमा में चुनाव अपेक्षित रूप से सम्पन्न हों।
क्या है चुनाव की अहमियत?
- ग्राम स्तर पर सत्ता हस्तांतरण
पंचायत चुनाव ग्रामीण राजनीति की नींव को मजबूत करते हैं। सक्रिय पंचायत से आप स्थानीय योजनाओं में भागीदारी सुनिश्चित होती है। - विकास का निर्णायक मंच
छोटे स्तर की सड़कों, पेयजल, पंचायत बजट जैसे फैसले इसी चुनाव से तय होते हैं। - राजनीतिक रणनीति का गठन
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए ये चुनाव परीक्षण की भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दल किसान, युवा और ग्रामीण मतदाताओं को जोड़ने में जुटे हैं।
चुनौतियाँ और तैयारी
- तीव्र मौसम: जुलाई के मौसम में मानसूनी बारिश मतदान को प्रभावित कर सकती है।
- जागरूकता और प्रशिक्षण: आयोग ने राज्य भर में 19,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर कर्मचारी व पर्यवेक्षक तैनात किए हैं।
- हाईकोर्ट की निगरानी: कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए आयोग विशेष ध्यान दे रहा है।
उत्तराखंड के पंचायत चुनाव इस बार ‘थ्री-टीयर’ लोकतंत्र की नई ताकत के साथ सामने आए हैं। मतदान प्रक्रिया दो चरणों में विभाजित होने से लोगों को सुविधा और प्रशासनिक सुलभता मिलेगी। पंचायतें स्थानीय विकास की नींव हैं और इस चुनाव से ग्रामीण जनता के पास लोकतांत्रिक विकल्प और बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा।