उत्तरकाशी की धराली गांव में बादल फटने से मची तबाही — क्षणों में तबाह हुआ पूरा इलाका

1. घटना का विवरण

5 अगस्त दोपहर करीब 1:50 बजे, उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने की घटना हुई। इसके तुरंत बाद केदारगंगा नदी में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे इलाके में स्थित होटल, दुकानें और कई घर मात्र 20 सेकंड के भीतर बह गए। यह दृश्य इतना भयावह था कि एक बड़ी इमारत भी टूटकर पानी में समा गई।

2. जनहानि और प्रभाव

  • अब तक कम से कम 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
  • 60 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें 11 सेना के जवान भी शामिल हैं।
  • 130 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है। हालांकि, लगातार बारिश और भारी मलबे के कारण राहत और बचाव कार्यों में कठिनाई आ रही है।

3. राहत और बचाव अभियान

  • NDRF, SDRF, सेना और ITBP की टीमें राहत कार्य में लगी हैं।
  • 150 से ज्यादा जवान मौके पर तैनात हैं।
  • हेलिकॉप्टर, ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद से मलबे में दबे लोगों को खोजा जा रहा है।
  • करीब 163 सड़क मार्ग बंद हो गए हैं, जिनमें 5 राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं।

4. मुख्यमंत्री का दौरा और केंद्र से संपर्क

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हवाई सर्वेक्षण किया और धराली में राहत शिविरों का दौरा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन मिला।

5. विशेषज्ञों की राय

  • कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ बादल फटना नहीं बल्कि ग्लेशियर टूटने या हिमताल विस्फोट जैसी आपदा भी हो सकती है।
  • उन्होंने जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित निर्माण कार्य और पर्वतीय इलाकों में अति-दोहन को इस प्रकार की आपदाओं का प्रमुख कारण बताया।

6. भविष्य की चुनौतियाँ

  • यह घटना हमें याद दिलाती है कि पर्यावरणीय संतुलन से समझौता करना कितना खतरनाक हो सकता है।
  • विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को सतत विकास, भविष्यवाणी तंत्र को सुदृढ़ करने और निर्माण नियमों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।

🧩 निष्कर्ष

धराली गांव की यह त्रासदी केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही और अनियोजित विकास का परिणाम भी है। यह समय है कि हम पर्यावरणीय संतुलन को लेकर गंभीर हों, वरना ऐसी आपदाएं और अधिक घातक रूप ले सकती हैं।