सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 5 मई 2025 तक के लिए स्थगित कर दी गई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले में आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते, बल्कि सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ही निर्णय लेंगे।
मामला क्या है?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK और अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। इन याचिकाओं में अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
कोर्ट की पिछली कार्यवाही
17 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक साथ सुनने का निर्णय लिया और केंद्र सरकार को एक सप्ताह के भीतर समेकित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही, कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक किसी भी वक्फ संपत्ति—चाहे वह पंजीकृत हो, अपंजीकृत हो या ‘वक्फ बाय यूजर’ हो—को डिनोटिफाई, परिवर्तित या हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार की स्थिति
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि 5 मई तक कोई वक्फ संपत्ति डिनोटिफाई नहीं की जाएगी और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि संसद द्वारा पारित कानून पर अंतरिम राहत देने से पहले सरकार का पक्ष सुना जाना चाहिए।
नई याचिका पर कोर्ट का रुख
28 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सैयद अलो अकबर द्वारा दायर एक नई याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें सलाह दी कि वे पहले से लंबित मामलों में हस्तक्षेप याचिका दायर करें। कोर्ट ने तीन नोडल वकीलों को नियुक्त किया है जो सभी याचिकाओं की दलीलों का समन्वय करेंगे और तय करेंगे कि सुनवाई के दौरान कौन प्रतिनिधित्व करेगा।
अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 1,300 पन्नों के अपने हलफनामे पर याचिकाकर्ताओं को पांच दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने की अनुमति दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।