कौन हैं मोहम्मद यूनुस?
मोहम्मद यूनुस एक नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री और ‘ग्रामीन बैंक’ के संस्थापक हैं। उन्होंने बांग्लादेश में सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) के माध्यम से लाखों गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन आज वही मोहम्मद यूनुस खुद को “बंधक जैसा महसूस कर रहे हैं” और सार्वजनिक रूप से इस्तीफे की धमकी दे चुके हैं।
क्या है पूरा मामला?
ढाका में यूनुस के खिलाफ सरकार, ट्रेड यूनियन और कुछ सामाजिक संगठनों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। यूनुस पर कई कानूनी मुकदमे, श्रम कानूनों के उल्लंघन और सत्ता से टकराव के आरोप लगे हैं। शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा:
“मुझे बंधक बनाया जा रहा है। यह एक सुनियोजित हमला है। अगर यह सब नहीं रुका, तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं।”
प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?
- सरकार का आरोप है कि यूनुस ने अपनी कंपनियों में श्रमिकों के अधिकारों का हनन किया है।
- प्रदर्शनकारी संगठनों का कहना है कि यूनुस को उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि का अनुचित लाभ मिल रहा है और वो देश के अंदर जवाबदेह नहीं हैं।
- यूनुस समर्थकों का दावा है कि यह सब राजनीतिक बदले के तहत हो रहा है क्योंकि यूनुस ने कुछ समय पहले बांग्लादेश की वर्तमान सरकार की आलोचना की थी।
बयान का राजनीतिक असर
यूनुस का यह तीखा बयान बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा चुका है। विपक्षी दलों ने सरकार को “प्रतिशोध की राजनीति” कहकर घेरा है, वहीं सरकार ने जांच को “कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा” बताया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
मोहम्मद यूनुस की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद सम्मानित रही है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद उन्होंने कई वैश्विक मंचों पर गरीबी हटाने की दिशा में काम किया। उनके साथ ऐसा व्यवहार दुनिया की नजर में बांग्लादेश की छवि पर भी असर डाल सकता है।
क्या आगे होगा?
अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि यूनुस वाकई में इस्तीफा देंगे या सरकार किसी सुलह की ओर बढ़ेगी। एक नोबेल विजेता का इस तरह विवादों में घिरना बांग्लादेश के लिए न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।